आज
या तो बारिश आयेगी
भीतर तक भिगो कर जाएगी
आँखें नम कर जाएगी,
या फिर
आयेगा ठंडी हवा का झोंका
हाथ मिलाएगा
और पूछेगा
मन के मौसम का हाल ।
और जब तुम पूछोगे अपने सवाल
तब कंधे पर रखेगा हाथ
और समझाएगा
कि तुम्हें है इंतज़ार
जिस फुहार का
हो सकता है
रास्ते में रुकी हो और,
और बूँदें समेटती हो
पानी की तंगी वाले दिनों के लिए ।
पर देर-सबेर
ठंडी फुहार आयेगी
तुम्हारी पीठ थपथपायेगी -
सुनो ! धूप-छांव दोनों के मज़े लेना
इसी तरह हर मौसम को भरपूर जीना ।