आम तौर पर
जो काम करना
ग़लत होता है,
हो सकता है
किन्ही परिस्थितियों में
वही काम करना
सही जान पड़े .
क्योंकि एक सच
ऐसा भी होता है
जो सही और ग़लत
की परिभाषा से
परे होता है .
ये सच
सिर्फ अपने
दम पर
खड़ा होता है .
ये सच
यथार्थ से
बड़ा होता है .
ये सच
उस लम्हे का
सच होता है .