अच्छे और बुरे,
इनकी परिभाषा के परे
सत्य
मैंने जाना है ।
अनुभव ही पैमाना है ।
गहरे पानी पैठ कर
पहचाना है ।
जिस समय
जो सही लगे,
वही करे,
तो बंदा
खरा होता है ।
अच्छे बुरे का मापदंड
ठीक उसी वक़्त
तय होता है,
जिस वक़्त
निर्णय लेना होता है ।
आदमी से बड़ा
वो लम्हा होता है,
जब सच्चाई की
कसौटी पर
उसका सारा चिंतन
दाँव पर लगा होता है ।