शनिवार, 21 मार्च 2009

पतंग
मन में
अटकी
कोई बात
जैसे
पेड़ पर
या
बिजली के तार पर
अटकी
कोई
पतंग

बुधवार, 11 मार्च 2009

होली


जीतो !
जब दिल से
दांव खेलो !

सोच की
चौपड़ के
चौंसठ खाने . .
जो खाने
खाली हों,
उन में मनचाहे
रंग भर लो !

खेलनी तो है
जीवन की बाज़ी !
जी भर कर खेलो !

रंग अपनी ढब के चुनो !
और जम कर खेलो !!