नमस्ते namaste
शब्दों में बुने भाव भले लगते हैं । स्याही में घुले संकल्प बल देते हैं ।
शनिवार, 9 जुलाई 2011
शायद
कौन जाने अब
किन हालात में
फिर मुलाक़ात हो ..
कोई बात हो ना हो,
मेरी दुआ हमेशा
तुम्हारे साथ हो.
तुम्हारी दुनिया
ख़ुदा की रहमत से
आबाद हो.
जिस रास्ते पर चलो
तुम्हारा हमखयाल
ज़रूर तुम्हारे साथ हो.
अकेलेपन का
कभी ना
एहसास हो.
...शायद कभी
फिर मुलाक़ात हो.
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