शनिवार, 16 मार्च 2013

उसकी आँखों की चमक



उसकी आँखों की चमक 
कौंधती है जब-तब मन में,
गड़ जाती है कील की तरह ,
कुरेदती है  मन के भाव ,
पूछती है सवाल अटपटे 
उसकी आँखों की चमक .

उसकी आँखों की चमक 
कौंधती है जब-तब मन में ,
हलचल मचाती है पारे की तरह ,
फिसलती जाती है बेझिझक ,
अंतर्मन की गहराई में
उसकी आँखों की चमक .

उसकी आँखों की चमक 
कौंधती है जब-तब मन में ,
उसकी ही नाक की लौंग की तरह,
उजास भर देती है क्षण भर ,
और छिप जाती है पलक झपकते 
उसकी आँखों की चमक .