कविता की व्यथा ,
चुभती, कचोटती कथा .
कांच का टुकड़ा ,
कलेजे में उतरा .
जो कहना मना था ,
वही कह बैठा .
आंसुओं का सिलसिला ,
भीतर तक पैठा .
कितना कुछ कहना था ,
जब कहने बैठा ..
शब्दों की विवेचना
में उलझ बैठा .
उधेड़बुन से छूटा
तो भावनाओं में डूबा .
डूबा तो जाना ,
कविता की व्यथा ,
होती है क्या .
व्यथा में पिरोया
मोती कविता का ,
कविता की मार्मिक कथा .