शनिवार, 5 जुलाई 2014

फूल बनाम मुन्ना



अपने हाथों से लगाये पौधे पर ,
खिलती हैं कलियाँ जब , 
जी खुश हो जाता है तब !
अपने नन्हे-मुन्ने की 
मासूम दूधिया हँसी 
देख कर भी ,
लगता है यही ।

यही कि देखते-देखते हर कली 
फूल बन कर थामेगी टहनी ।
इसी तरह आँखों के सामने मेरी
नौनिहाल मेरा 
होगा बड़ा ,
थाम कर हाथ मेरा ,
नन्हे-नन्हे कदम रखता 
चलेगा पैयाँ पैयाँ ।

नन्हा मुन्ना मेरा 
एक फूल प्यारा प्यारा ।
हौले-हौले खिला
फूल ही है मुन्ना हमारा ।



परवाह

हँसने का सबब कोई भी नहीं,
फिर भी हम हरदम हँसते हैं ।
दुनिया से हमको गिला नहीं,
हम अपनी फ़िक्र खुद करते हैं ।