गुरुवार, 27 जुलाई 2017

मैं एक मामूली मिट्टी का दिया




मैं एक मामूली 
मिट्टी का दिया हूँ ।

मैं मनोबल हूँ ।
जो अंतर में, 
अलख जगाये,
आस बँधाये ।

मैं एक सजग  
विचार हूँ ।
जो बीहड़ में 
राह बनाये ।

मैं जिजीविषा हूँ ।
जो हर हाल में, 
जीवन से 
लौ लगाये रखने का 
साहस दे ।

मैं अभय हूँ ।
जो अँधेरे और अज्ञान को
ललकारना सिखाये ।

मैं अंधकार के ललाट पर 
ज्योतिर्मय तिलक हूँ ।

मैं वंदना हूँ ।
जो सूर्य के प्रकाश की 
ऊष्मा अपने में समेटे 
दीपक राग बन जाये ।  

मैं एक मामूली 
मिट्टी का दिया हूँ ।