पतझड़ में
एक एक करके
हरे-भरे
कुछ-कुछ पीले हो चुके
पेड़ों से
पत्तों को चुपचाप
झरते देखा,
तो मन में
पल्लवित हुई
एक इच्छा ।
स्वेच्छा से,
यदि मन में
गहरे पैठे
पूर्वाग्रह और कुंठाएं
यूँ ही आप झर जाएं,
नई संभावनाओं के लिए
जगह बनाएं,
तो क्या खूब हो !
सहर्ष परिवर्तन का स्वागत हो !
जीवन में नित नया वसंत हो !