शनिवार, 6 जनवरी 2018

सलीका


तमाम 
मिले - जुले रंगों की 
बेतरतीब 
आड़ी - तिरछी रेखाओं में भी  
मनभावन 
तस्वीर नज़र आने लगे  . . 

मेले में खरीदी लाल - हरी 
कांच की चूड़ियां,
चटक चुनरी लहरिया, 
मेहँदी रची हथेलियां,
मिर्च कुतरता तोता,
हरी घास,
अबीर गुलाल,
गेंदा और गुलाब,  
और जो कहिये जनाब !
याद आने लगे !

कोई अच्छी - सी बात सूझे,  
मन 
जीवन का छंद 
गुनगुनाने लगे,
समझिए 
आपको सलीका आ गया !
मुबारक हो !
आपको जीना आ गया !