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मंगलवार, 16 अप्रैल 2024

सूर्य तिलक


आज हुआ मंगल प्रभात ।
धूप की जब सुनी पदचाप
मन में बरबस जागा कौतूहल,
किस कारण भीतर तक
हुआ किरणों का पदार्पण ।
आले में विराज रहा था
एक चित्रांकन अनुपम,
प्रभु श्री रामचंद्र सीता मैया
और लखन लाल जी अनुज।
सूर्य रश्मि ने किया वंदन
भाल पर रघुवीर के सूर्य तिलक !
पा कर स्पर्श प्रभु राम का
धूप हुई संजीवनी बूटी सम ।
घर-घर जाकर फिर किया मंगल,
जयघोष से जी उठा सकल भुवन ।


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सविनय आभार सहित 
प्रेरक कलाकृति : सियाराम और लखन लाल जू 
विधा : मिश्रित भारतीय लोक कला 
चित्रकार : श्री कर्ण सिंह पति 
 

बुधवार, 10 अप्रैल 2024

शुभ हो संवत्सर


नित नवल मंगल प्रभात 
प्रफुल्लित पात-पात ।
भोर ही मिला समाचार 
झर रहे थे हरसिंगार ।
मानो आशीष अपार
मिले झोली भर-भर ।
नवान्न से भरें भंडार ।
खेतों में भरपूर फसल
बनी रहे नीम की छाँव ।
जीवन के सब नेगाचार
सिद्ध हों सरल सदाचार।
आनन पर सह्रदय हास
शुभ हो नव संवत्सर ।